Monday, February 1, 2010

मुंबई की आड में महंगाई पर समर्पण, राष्ट्र से ऊपर महाराष्ट्र

पहली फरवरी 2010 यानी सोमवार बयानों के नाम रहा। अगर गौर से देखा जाए और एक साथ आए बयानों को साथ रख कर देखें तो साफ हो जाएगा कि राजनीति की नूरा कुश्ती में कैसे आम आदमी के हितों से खिलवाड़ किया जा सकता है। महंगाई बनाम मुंबई में कुछ यूं बयान आए कि महंगाई गौण और महाराष्ट्र का मुद्दा महान हो.. इस कुछ न किया गया तो न जाने क्या हो जाएगा। ठाकरे परिवार की राजनीति बिसात सारे राष्ट्र के हित से बड़ी प्राथमिकता हो गई, गोया सरकार ने आज कुछ नहीं किया तो चार चिरकुटों की फौज वाले ये गुंड़ो का गिरोह मुंबई पर कब्जा कर सबको बाहर फेंक देगा... देश का हिस्सा न हुआ भिखारियों के हाथ में फंसी रोटी हो गई जिसे जो चाहेगा लूट लेगा। दरअसल इस विषय पर बात से पहले जरूरी हैं कि इस विषय पर सोमवार को आए बयानों को समझ लिया जाए।

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सोमवार को साफ कर दिया सरकार के पास न तो खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता है और न ही वे महंगाई को नियंत्रित करने में सक्षम हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यों के मुख्य सचिवों की बैठक में कहा कि पिछले कुछ समय से, यह गलत धारणा रही है कि खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता पर्याप्त है और चिंता जैसी कोई बात नहीं है। इसी प्रकार, कई लोगों का मानना था कि हम कीमतों को नियंत्रित करने में सक्षम हैं। लेकिन बढ़ती जनसंख्या और लोगों के उच्च जीवन स्तर को देखते हुए खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत है। गौरतलब है कि जिस वक्त यह बयान आया तभी चीनी, तेल, दूध, चावल आदि के दाम और बढऩे की बात हो रही है। यानी कुछ हो गया तो फिर न कहना...

उधर बाल ठाकरे और राज ठाकरे की मुंबइया मनमानी पर कान में उंगली डाले बैठी केंद्र सरकार को आखिर सोमवार को यह हंगामा सुनाई दिया और गृह मंत्री ने सख्त रुख अपनाते हुए ऐलान किया कि मुंबई में सभी भारतीयों की है और सभी यहां रहने और काम करने के लिए स्वतंत्रत हैं। शिव सेना की ''मुंबई मराठियों कीÓÓ दलील को घातक सिद्धांत बताते हुए चिदम्बरम ने कहा कि हम शिव सेना के मत को खारिज करते हैं। मुंबई पूरे भारत की है और सभी भारतीय मुंबई में रहने और रोजी कमाने के लिए स्वतंत्र हैं। चिदंबरम ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम है और अगर उसे किसी मदद की जरूरत हुई तो केन्द्र उपलब्ध कराएगा।

इसी दिन अचानक राहुल गांधी भी जो भोपाल में कह चुके थे कि सरकार महंगाई नियंत्रण जल्द कर लेगी वह भी बोल पड़े कि मुंबई सबकी है। इतनी ही नहीं वह एक कदम आगे बढ़ कर बोले कि मुंबई को आतंक से निजात दिलाने वाले एनएसजी कमांडो बिहार यूपी के थे। हालांकि उन्होंने यह सोर्स नहीं बताया कि उन्हें कैसे पता चला कि उस फोर्स में कहां के लोग थे, क्योंकि सामान्यत: यह गुप्त रहता है कि ऐसे मिशन में कौन से कमांडो शामिल थे और उनकी पहचान क्या है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवा संघ द्वारा महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों को सुरक्षा देने की बात कहने पर भाजपा ने भी संघ के सुर में सुर मिला दिया। रविवार को इस मुद्दे पर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा था कि वे पहले संघ प्रमुख से बात करेंगे। लेकिन सोमवार को उन्होंने खुलकर कहार कि उत्तर भारतीयों को सुरक्षा देने संबंधी संघ के मत से सहमत हैं। गडकरी ने कहा कि देश के सभी क्षेत्रों के भारतीयों को भारतीय सीमा के भीतर कहीं भी रहने का अधिकार है।



महंगाई बनाम मुंबई मामले को लेकर चंद सवाल हैं जिनके जवाब खोजने जरूरी हैं।

1 महंगाई पर बहलाती रही सरकार को अचानक सोमवार को क्या हो गया कि उसने यूं आनन-फानन हाथ खड़े कर दिए। क्या आम और गरीब आदमी को कीमतों की चक्की में पीसने का इरादा है या पूंजी तंत्र के हाथों देश के बिक जाने की अनाधिकृत घोषणा की गई है।


2 क्या हमारी व्यवस्था और कानून वाकई इतने लाचार हैं कि आम आदमी की जीवन रक्षक खाद्य वस्तुओं के दाम नियंत्रित नहीं किए जा सकते। या बाजार तंत्र का दबाव नियंत्रण से बाहर हो गया है। साथ ही देश को आपदा युद्ध, प्राकृतिक या आर्थिक आदि से बचाने का सिस्टम नष्ट कर दिया गया है।


3 क्या मुंबई मामले पर ठाकरे परिवार और उनके समर्थकों पर नकेल नहीं डाली जा सकती। क्या वहां कानून उनकी बांदी है? या सरकार खुद इस मुद्दे को किसी बड़े इश्यू को दबाने के लिए बढऩे दे रही थी, ताकि सही समय पर उसका उपयोग किया जा सके।