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Friday, January 22, 2016

दबाव समूहों के नवसामंत

 हम प्रभावशाली दबाव समूहों के नवसामंतों के युग में जी रहे हैं जो आपके निर्णयों को नियंत्रित करने के लिए कुछ भी रचने को बेकरार रहते हैं। इसे स्थापित करता है  जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में फिल्म निर्माता करन जौहर का 'इंटॉलरेन्स' के मुद्दे पर उठाया सवाल।  करन ने कहा, 'आप अपनी जिंदगी के बारे में बोलने पर भी जेल में जा सकते हैं. तो फिर अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब ही क्या है? इसका मतलब तो यह हुआ कि अभिव्यक्ति की आजादी हमारे देश में सबसे बड़ा मजाक है और लोकतंत्र दूसरा बड़ा मजाक करन ने ये बात बेशक फिल्मी दुनिया के संदर्भ में कही होगी, लेकिन अगर आप इसे रोहित वेमुला केस से जोड़ कर देखेंगे तो आप पाएंगे कि जो बात मैंने कल आर्टिकल में लिखी है ये उसके समर्थन का एक अलग सा चेहरा है... रोहित की जान ही इसलिए गई कि उसने अभिव्यक्ति की आजादी को इस्तेमाल करने की कोशिश की थी।