Tuesday, September 21, 2010

ख्वाब और खुदा...

दिन भर ख्वाब बुनता हूं
रात भर जागता रहता हूं

मंजिलें दौड़ती रहती हैं
मैं भी भागता रहता हूं

न जाने कब मिले मौका
अब भी ताकता रहता हूं

फस्ले ईमां बोई थी मैंने
दुख ही काटता रहता हूं

खुदा अब खुद ही चले आना
मैं खिड़की से झांकता रहता हूं

Tuesday, September 7, 2010

तो कौन जिम्मेदार होता....

भोपाल में सोमवार को भाजपाई आयोजन ने ट्रैफिक व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया और शहर भर परेशान ... ऐसे में सवाल यह है कि जब तय था कि इतने लोग और गाड़ियां आएंगी तो पुलिस के बड़े अधिकारियों और भाजपा के काडर लीडरों ने कोई व्यवस्था क्यों नहीं की... क्या इसके लिए दोषी नहीं कहना चाहिए... इस भीड़भाड़ में बाबरी फैसले और आतंकी टारगेट ...के चलते संवेदनशील भोपाल में कुछ हो जाता तो कौन जिम्मेदार होता....

Friday, September 3, 2010

आतंक के रंग से राजनीति के कैनवास पर कलाकारी....

एक साहब हैं, पद और कद देश की अस्मिता और आतंरिक शांति के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण, नाम है पी चिदम्बरम... उन्होंने आतंक में आस्थाओं से जुड़ा एक रंग खोजा और पार्टी पदाधिकारी या मंत्री नहीं वरन् औसत बुद्धी से नीचे के व्यक्ति की तरह रेंक पड़े यह तो भगवा है... उनसे ज्यादा महान वे निकले जो विरोध में उठ खड़े हुए... उन्हें यह हमला सारे धर्म पर नजर आया.... लगे चिल्लाने अरे लोगों देखो ये हमें गाली दे रहा है आओ राम के नाम पर छले थे तो क्या अब भगवा पर एकजुटहो जाओ.... बहुत साल हो गए हैं सत्ता सुंदरी रूठी है तुम मान जाओ तो वह भी मान जाएगी... वरना सोनिया तो फिर अध्यक्ष बन ही गई हैं.... ऐसा ही रहा तो राहुल भी प्रधानमंत्री हो जाएगा और हमारा वनवास और लंबा हो जाएगा.... आगे पता नहीं क्या हो।
दरअसल कई सवाल शेष हैं कि यह प्रतिआतंक कहां से आया और इसके पोषण के पीछे कौन है और क्यों हैं... लेकिन इसके बहाने समाज का धुव्रीकरण करने वाले जाने पहचाने हैं और उनकी नीति नियत भी साफ दिख रही हैं। कांग्रेस-भाजपा दोनों अपने-अपने वोट बैंक बनाएगी और अपने ही लोगों को एक दूसरे से डराएगी.... यानी खेल साफ है इंतजार रहेगा सिर्फ स्कोर का... बगैर यह सोचे कि इससे देश में विघटन की लहर उठी तो उसके सैलाब में क्या-क्या आ जाएगा। वैसे लोगों को पता होना चाहिए कि भगवा कोई धर्म नहीं बलि्क सनातन धर्म की जीवनशैली का अहम हिस्सा है पूरा का पूरा धर्म नहीं इसलिए हो सके तो इस शब्द का इस्तेमाल करने वालों और विरोध करने वालों दोनों से बच कर रहना क्योंकि ये पहले देश को उकसाएंगे, दंगे कराएंगे फिर घरों को जलाएंगे और उसी आग पर अपनी राजनीति की रोटी पकाएंगे।